यादव जी इलाहाबाद में कपड़े की दुकान चलाते हैं। कपड़ों के बिज़नेस को उनके पिताजी ने 30 साल पहले खोला था। तब से लेकर अब तक दुनिया में कई बदलाव हुए, लेकिन यादव जी के बिज़नेस करने के तरीके में कोई बदलाव नहीं आया। आज भी यादव जी अपने बिज़नेस के फ़ाइनेंस को मैनेज़ करने के लिए बही-खाता, कैलकुलेटर और कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं। इससे उनका बिज़नेस ठीक-ठाक चलता तो है, लेकिन अब तक बहुत ज़्यादा आगे नहीं बढ़ पाया।
इसी से पता चलता है कि उन्हें भी अपने तरीकों में बदलाव की ज़रूरत है। यादव जी की तरह ही कई अन्य व्यवसायी आज भी पुराने तरीके से बिज़नेस करते हैं और बिज़नेस के फ़ाइनेंस को मैनेज करने के लिए हर सप्ताह 15-20 घंटे समय बिताते हैं। इससे वे अपना पूरा ध्यान बिज़नेस को आगे बढ़ाने पर नहीं लगा पाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि बिज़नेस पुराना होने के बाद भी सामान्य गति से आगे बढ़ता है।समय के साथ ही बिज़नेस के फ़ाइनेंस को मैनेज़ करने का तरीका भी बदल चुका है। यह बात अब यादव जी जैसे छोटे व्यवसायी भी समझने लगे हैं।
वर्तमान में इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं सूक्ष्म और छोटे बिज़नेस (MSMEs):
- ग्राहकों और विक्रेताओं की सभी बिक्री इनवॉइस (Sale Invoice) और ख़रीद बिलों (Purchase Bills) की कॉपी को हमेशा संभाल कर रखना।
- भुगतान (Payments) के लिए बार-बार ग्राहकों से विनती करना।
- रुके हुए भुगतान (Pending Payments) और जमा राशि की जांच करने के लिए बार-बार बैंक के चक्कर लगाना।
- स्टॉक की पूरी जानकारी के लिए इंवेंटरी के रिकॉर्ड मेंटेन करना।
- सबसे बड़ी बात डिजिटल इंडिया के समय में भी सारे हिसाब-किताब बही-खाता पर दर्ज करना।
- इसके अलावा टैक्स के बारे में पता करने के लिए हर महीने के अंत में अकाउंटेंट का चक्कर लगाना।
वर्तमान में सूक्ष्म और छोटे बिज़नेस (MSMEs) काफ़ी विकसित हो चुके हैं। इस काम में सस्ते स्मार्टफ़ोन, किफ़ायती इंटरनेट और ऑनलाइन भुगतान सुविधा ने काफ़ी मदद की है। भारत की लगभग आधी अर्थव्यवस्था MSMEs के ऊपर ही आधारित है। ऐसे में अगर ये पीछे रहेंगे, तो देश की अर्थव्यवस्था भी पीछे ही रहेगी। अब 2021 में व्यवसायी अपने बिज़नेस को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए तकनीकी का सहारा ले रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।
लेकिन क्या आज पूरी तरह से यह समस्या ख़त्म हो गई है? शायद नहीं। दरअसल, आज भी कई व्यवसायी हैं, जो यादव जी की तरह पुराने तरीके से बिज़नेस करते हैं। वहीं, कई व्यवसायी ऐसे भी हैं, जो अपने बिज़नेस को अच्छे से चलाने और मैनेज़ करने के लिए एक साथ कई प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। ज़्यादातर व्यवसायी आज भी अपनी इंवेंटरी, इनवॉइस, बैंक अकाउंट, पेमेंट, बही-खाता, GST आदि को मैनेज़ करने के लिए 6 अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। इससे उनका काफ़ी समय बर्बाद होता है।
अलग-अलग ऐप्स का इस्तेमाल करने से होने वाली परेशानियां:
- अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करके बिज़नेस मैनेज करने से समय की बर्बादी
- एक व्यक्ति के लिए बिज़नेस की इन सभी ज़रूरतों को मैनेज करना काफ़ी मुश्किल
- बार-बार प्लेटफ़ॉर्म बदलने से गलती होने की संभावना
OpenBook की मदद से ऐसे अपने बिज़नेस को बना सकते हैं आसान
OpenBook न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर भारत का पहला ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो एक ही जगह पर बिज़नेस से जुड़ी हर ज़रूरत का पूरा करता है। अब आप आसानी से अपने बिज़नेस की बिलिंग, बैंकिंग, अकाउंटिंग और टैक्स को आसानी से मैनेज कर सकते हैं।
अब यादव जी OpenBook की मदद से अपने ग्राहकों के लिए बिक्री की डिजिटल इनवॉइस बना कर उसे व्हाट्सऐप पर शेयर कर सकते हैं। वहीं, उनके ग्राहक अपने पसंदीदा पेमेंट मोड द्वारा बिक्री की इनवॉइस में दिए गए पेमेंट लिंक के माध्यम से तुरंत पेमेंट कर सकते हैं। जैसे ही ग्राहक पेमेंट करेंगे, इस पेमेंट की जानकारी अपने आप OpenBook अकाउंटिंग और जुड़े हुए बैंक अकाउंट में दर्ज हो जाएगी। केवल यही नहीं यादव जी अपने बिज़नेस से जुड़ी हुई 25 से ज़्यादा अलग-अलग तरह की अपने आप जनरेट होने वाली रिपोर्ट देख सकते हैं। इसके साथ ही यादव जी अब OpenBook का इस्तेमाल करके तुरंत GST भी फ़ाइल कर सकते हैं। अब आपको पता चल गया होगा कि हम क्यों #BusinessकरोSimple कहते हैं।
अब कल्पना कीजिए कि OpenBook का इस्तेमाल करके आप बिज़नेस से जुड़े सभी काम मैनेज करने में कितना समय बचा सकते हैं। इस समय का इस्तेमाल आप ग्राहकों पर ध्यान देने और अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने में लगा सकते हैं।
तो अब आप किस बात का कर रहे हैं इंतज़ार? बिना समय गंवाए तुरंत डाउनलोड करें OpenBook और अपने बिज़नेस को आसान बनाएं।