मेरा नाम महेश गुप्ता है और मैं वाराणसी के लंका क्षेत्र का रहने वाला हूं। हमारा लंका में ही ख़ानदानी किराना स्टोर है, जो काफ़ी बड़ा है। कुछ सालों तक पिता जी के साथ किराना स्टोर का बिज़नेस चलाने के बाद मैंने अपना खुद का बिज़नेस शुरू करने की योजना बनाई। छोटे शहरों और गांवों में मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल को देखकर मैंने मोबाइल स्टोर खोलने के बारे में सोचा। मोबाइल स्टोर खोलने के लिए मुझे काफ़ी पैसों की ज़रूरत पड़ी। इसके लिए मुझे बैंक से लोन भी लेना पड़ा। मोबाइल स्टोर तो शुरू हो गया, लेकिन मुझे पता नहीं था कि अपने दम पर अकेले कोई भी बिज़नेस करना कितना मुश्किल होता है।
बिज़नेस शुरू करने के बाद करना पड़ा इन परेशानियों का सामना:
बैंकिंग:
मोबाइल स्टोर पर रोज़ाना ठीक-ठाक बिज़नेस हो जाता था, इसलिए मुझे करेंट अकाउंट की ज़रूरत थी। क्योंकि ट्रांजेक्शन बहुत ज़्यादा करना पड़ता था और बिज़नेस का रजिस्ट्रेशन भी करवाना था। बिना बिज़नेस करेंट अकाउंट के बिज़नेस का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया जा सकता था। इसलिए मैंने बैंक में करेंट अकाउंट के लिए आवेदन किया, लेकिन उसमें काफ़ी समय लग गया। बैंक कर्मचारी ने करेंट अकाउंट खोलने के लिए कई दस्तावेज मांगे, जो मेरे पास नहीं थे। इस वजह से करेंट अकाउंट खुलवाने में बड़ी मुश्किल हुई। हालांकि, किसी तरह करेंट अकाउंट खुल गया, लेकिन फिर भी मेरी बैंकिंग की समस्या हल नहीं हुई। अक्सर पैसों का सही हिसाब रखने में परेशानी होती थी। कितने पैसे आए और कितने पैसे गए, इसे देखने के लिए बार-बार बैंक की वेबसाइट पर जाना पड़ता था। इसके बाद भी कुछ समझ में नहीं आता था। इसलिए, मोबाइल स्टोर से फ़ायदा हो रहा है या नहीं, यह भी पता नहीं चलता था।
बिलिंग:
शुरुआत में मैं अकेले ही स्टोर संभालता था, लेकिन स्टोर बढ़ने की वजह से उसे अकेले संभालने में मुश्किल होने लगी। इसके बाद मैंने धीरे-धीरे कर्मचारियों को रखना शुरू कर दिया। वर्तमान में मोबाइल स्टोर में लगभग 5 कर्मचारी काम करते हैं। धीरे-धीरे स्टोर पर रोज़ाना अच्छी संख्या में ग्राहक आने लगे थे। ज़्यादा कर्मचारी होने के बाद भी अक्सर सेल्स इनवॉइस, सेल्स रिटर्न, पर्चेज़ ऑर्डर, पर्चेज़ रिटर्न और एस्टीमेट्स बनाने में परेशानी होती थी और कई बार ज़्यादा ग्राहकों के आ जाने से समय पर बिलिंग भी नहीं हो पाती थी, इसलिए कई ग्राहक चिढ़ जाते थे। दरअसल, उस समय बिलिंग पेपर वाले बिल बुक पर होती थी और हाथ से सब कुछ भरकर बिल बनाने में काफ़ी समय लग जाता था। इसकी वजह से कई बार ग्राहक मोबाइल पसंद आने के बाद भी बिना लिए वापस चले जाते थे। इससे भी बिज़नेस पर बुरा असर पड़ रहा था।
अकाउंटिंग:
पिता जी के साथ उनकी किराने की दुकान पर काम करने के दौरान सारा हिसाब-किताब कॉपी में करने की आदत थी। इसलिए, जब मैंने अपना मोबाइल स्टोर शुरू किया तो सारा हिसाब-किताब कॉपी पर ही करता था। उस समय स्टोर भी बड़ा नहीं था। लेकिन, समय के साथ मोबाइल की बिक्री बढ़ने लगी और स्टोर को बड़ा करना पड़ा। स्टोर बड़ा होने की वजह से हिसाब-किताब में हमेशा दिक्कत होती थी। अब हिसाब-किताब कॉपी की बजाय डेस्कटॉप पर होने लगा था, उसके बाद भी अक्सर पेमेंट्स में गड़बड़ी देखने को मिलती थी। बिज़नेस बड़ा होने की वजह से हिसाब-किताब संभालने के लिए मैंने एक अकाउंटेंट भी रखा, लेकिन ज़्यादा फ़ायदा नहीं हुआ। कई बार अकाउंटेंट कुछ हिसाब-किताब भूल जाता था, जिसकी वजह से उसकी एंट्री नहीं हो पाती थी और हिसाब में गड़बड़ी हो जाती थी। इसकी वजह से कई बार नुक़सान उठाना पड़ा था।
एक दिन स्टोर पर बैठकर मैं अपनी इन सभी परेशानियों के बारे में सोच रहा था। फिर मैंने दिमाग को शांत करने के लिए यूट्यूब खोल लिया। सोचा थोड़ी देर कोई गाना सुन लेता हूं। उससे दिमाग भी शांत हो जाएगा और शायद कोई रास्ता भी निकल आए। मैंने यूट्यूब पर एक गाना लगाया। गाना शुरू होने से पहले OpenBook ऐप का ऐड आया। ऐड में बिज़नेस करो सिंपल सुनाई पड़ा। फिर मैंने ऐड को शुरू से ध्यान से देखा, तो पता चला कि मैं रोज़ाना जिन परेशानियों का सामना कर रहा हूं, OpenBook उन सभी समस्याओं का समाधान करता है। इसके बाद मैंने गाना सुनना छोड़ कर, बिना समय गंवाए तुरंत मोबाइल में OpenBook ऐप डाउनलोड किया। मोबाइल नंबर से लॉगिन करते समय मुझसे बिज़नेस संबंधी कुछ सामान्य जानकारी मांगी गई। सारी जानकारी भरते ही ऐप इस्तेमाल के लिए तैयार था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि OpenBook पर लॉगिन करते ही बिज़नेस को मैनेज़ करने के लिए डिजिटल बिज़नेस बैंक अकाउंट मिलता है। सफलतापूर्वक लॉगिन करने के बाद सबसे पहले मैंने OpenBook के सभी फ़ीचर्स के बारे में ध्यान से देखा। इस्तेमाल करने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए ऐप में कुछ एक्सप्लेनर वीडियो भी थे, ताकि पहली बार इस्तेमाल करने वाला उसके सभी फ़ीचर्स के बारे में अच्छे से समझ जाए। इसके बाद मैंने OpenBook को लगातार इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। तब से लेकर आज तक मैं लगातार OpenBook का इस्तेमाल कर रहा हूं। OpenBook ने मेरे बिज़नेस को सच में बहुत ज़्यादा आसान बना दिया है।
OpenBook ने किया बैंकिंग, बिलिंग और अकाउंटिंग संबंधी सभी समस्याओं का समाधान:
जब से मैंने OpenBook इस्तेमाल करना शुरू किया है, तब से बिज़नेस की बैंकिंग काफ़ी आसान हो गई है। OpenBook पर लॉगिन करने के बाद एक डिजिटल बिज़नेस बैंक अकाउंट मिला, जिससे मैं अपने बिज़नेस की बैंकिंग को आसानी से मैनेज़ करता हूं। अब पेमेंट कलेक्शन से लेकर ट्रांसफ़र और कर्मचारियों की सैलरी तक सभी काम आसानी से हो जाते हैं। इसके साथ ही OpenBook ने एक AtriaOne डेबिट कार्ड भी दिया है, जिससे मैं अपने बिज़नेस के सभी ख़र्चों जैसे दुकान का किराया, कर्मचारियों की सैलरी, सब्सक्रिप्शन की पेमेंट और अन्य ख़र्चों को आसानी से मैनेज़ कर लेता हूं। अब मैं आसानी से एक ही जगह आने-जाने वाले पैसों पर नज़र रख सकता हूं, जिससे हिसाब-किताब में भी गड़बड़ी नहीं होती है। OpenBook ने मेरी बिज़नेस बैंकिंग को सच में बहुत आसान बना दिया है।
बिलिंग की बात करूं, तो OpenBook ने बिलिंग को वाक़ई बहुत आसान बना दिया है। अब एक साथ कई ग्राहकों की बिलिंग बड़ी आसानी से हो जाती है। अब बिलिंग करते समय GST का हिसाब करने के लिए बार-बार कैलकुलेटर का भी इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है। OpenBook ऐप से तुरंत पेमेंट लिंक के साथ GST वाली बिल बन जाती है, जिसे हम ग्राहक के व्हाट्सऐप, SMS और ईमेल पर भेज देते हैं। इसके बाद ग्राहक पेमेंट लिंक द्वारा UPI, IMPS, NEFT और RTGS जैसे ऑनलाइन माध्यमों से पेमेंट करते है। पेमेंट लिंक के माध्यम से मिलने वाली पेमेंट अपने आप अकाउंटिंग में भी दर्ज हो जाती है। इसके साथ ही अब मुझे पहले की तरह पर्चेज़ ऑर्डर,पर्चेज़ रिटर्न और सेल्स रिटर्न पेपेर पर नहीं बनाना पड़ता है। अब मैं ये सब OpenBook पर ही बना लेता हूं और वेंडर/ग्राहक को उनकी मोबाइल पर भेज देता हूं। पहले की अपेक्षा अब बिज़नेस की बिलिंग बहुत आसान हो गई है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि अब मुझे बिज़नेस की अकाउंटिंग की भी चिंता नहीं होती है। अब OpenBook से ही मेरा अकाउंटेंट पूरी अकाउंटिंग संभालता है और मैं समय मिलने पर उसकी जांच कर लेता हूं। अब अकाउंटेंट को मैनुअली सेल्स और पर्चेज़ का अमाउंट नहीं भरनी पड़ता है। जैसे ही कोई ग्राहक पेमेंट करता है या मैं अपने वेंडर को पेमेंट करता हूं, उसकी एंट्री अपने आप अकाउंटिंग में हो जाती है। इससे काफ़ी समय बच जाता है और पूरा हिसाब-किताब भी सही रहता है। इसके अलावा OpenBook बिज़नेस का स्टॉक भी आसानी से मैनेज हो जाता है। सभी सेल्स और पर्चेज़ का हिसाब-किताब OpenBook पर मौजूद रहता है, इसलिए कितनी मोबाइल बिक चुकी है और कितनी स्टॉक में बची हुई है, यह तुरंत पता चल जाता है। साथ ही कैश फ़्लो और प्रॉफ़िट एवं लॉस रिपोर्ट की सहायता से यह भी पता चल जाता है कि बिज़नेस में कितना पैसा लगा और कितना फ़ायदा हुआ।
इस तरह मैं कह सकता हूं कि OpenBook ने मेरी सभी समस्याओं का समाधान एक जगह केवल उंगलियों की दूरी पर कर दिया है। अब न ही मुझे बैंकिंग, बिलिंग और अकाउंटिंग में समस्या होती है और न ही मेरे बिज़नेस को कोई नुक़सान होता है। OpenBook ने मेरे बिज़नेस की सबसे बड़ी रुकावटों का समाधान बड़ी आसानी से कर दिया और मेरे बिज़नेस को बढ़ने में काफ़ी मदद की है। अगर सच कहूं, तो OpenBook ने सही मायने में मुझे स्मार्ट व्यापारी बना दिया है। अगर आप भी मेरी तरह स्मार्ट व्यापारी बनना चाहते हैं, तो बिना देर किए आज ही OpenBook डाउनलोड करें।