सामान्य रूप से शासन (Government) संबंधी कार्यों को सही तरीक़े से चलाने के लिए पैसों की ज़रूरत पड़ती है और उन पैसों को एकत्र करने के लिए कर यानी टैक्स (Tax) का सहारा लिया जाता है। टैक्स को राजस्ववृद्धि (Revenue growth) का साधन माना जाता है। टैक्स लगाने का मुख्य उद्देश्य विकास संबंधी कार्यों के लिए धन एकत्र करना और जहां तक संभव हो सके देश की मुश्किल स्थिति को दूर करना है। यही वजह है कि जिनकी आय अधिक होती है, उन्हें कम आय वालों की अपेक्षा ज़्यादा टैक्स देना पड़ता है। सदियों तक सार्वजनिक क्षेत्रों से ही मुख्य रूप से राजस्व का संकलन (Revenue collection) किया जाता था, जिसमें एक्साइज ड्यूटी और कस्टम ड्यूटी मुख्य थे। हालांकि, बाद में धीरे-धीरे कई तरह के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर (Direct & Indirect Tax) लगाए जाने लगे। GST भी उन्ही में से टैक्स का एक प्रकार है।
GST से पहले एक ही आइटम पर एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, सरचार्ज, राज्य स्तर पर VAT जैसे कई टैक्स लगाए जाते थे, लेकिन GST ने इन सभी को ख़त्म कर दिया। GST ने टैक्स व्यवस्था को आसान बनाकर व्यापारियों से लेकर आम लोगों को काफ़ी राहत दी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले टैक्स व्यवस्था काफ़ी मुश्किल थी, जिसे आसान बनाने के लिए भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2017 को GST की घोषणा की थी। GST (Goods & Services Tax) एक अप्रत्यक्ष कर है। GST का लक्ष्य कर संग्रह नेटवर्क को विस्तृत करना और प्रक्रिया को व्यापार एवं विकास के अनुकूल बनाना है।
किस तरह के बिज़नेस के लिए ज़रूरी है GST रजिस्ट्रेशन?
GST रजिस्ट्रेशन हर तरह के छोटे-बड़े बिज़नेस के लिए ज़रूरी है। अगर व्यवसायी अपने बिज़नेस का GST रजिस्ट्रेशन करवाते हैं, तो उन्हें सरकार की तरफ़ से कई तरह के फ़ायदे भी मिलते हैं। हालांकि, 40 लाख रूपये से कम वार्षिक टर्नओवर वाले बिज़नेस को GST पेमेंट नहीं करना होता है। देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए यह सीमा 20 लाख रूपये वार्षिक टर्नओवर है। अगर व्यापारी अपने बिज़नेस का GST रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते हैं, तो उन्हें अपने कम या ज़्यादा वार्षिक टर्नओवर पर भी टैक्स फाइल करना पड़ता है। वहीं, GST रजिस्ट्रेशन होने पर उन्हें केवल टर्नओवर की सीमा पार करने पर ही GST फाइल करना पड़ता है। इससे समय बचता है, जिसका इस्तेमाल बिज़नेस को आगे बढ़ाने में लगाया जा सकता है।
इसके अलावा GST रजिस्ट्रेशन के कई अन्य फ़ायदे भी हैं, जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।
GST रजिस्ट्रेशन कराने से MSMEs को मिलते हैं ये लाभ:
- आसानी से मिलता है बिज़नेस लोन: हर बिज़नेस में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कई बार मुश्किल समय आने पर बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए लोन भी लेना पड़ता है। जहां, सामान्य बिज़नेस को लोन लेने परेशानी होती है, वहीं GST रजिस्टर्ड बिज़नेस को आसानी से बिज़नेस लोन मिल जाता है। RBI की गाइडलाइन के अनुसार, लोन लेने के लिए बिज़नेस का GST रजिस्ट्रेशन बहुत ज़रूरी है। बता दें कि बिज़नेस लोन लेते समय व्यापारी को अपने बिज़नेस का वैलिड GSTIN देना अनिवार्य होता है।
- सरकारी योजनाओं का लाभ: सरकार देश के छोटे और माध्यम बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय पर कई तरह की योजनाएं शुरू करती है। इन योजनाओं का लाभ GST रजिस्टर्ड बिज़नेस आसानी से ले सकते हैं। जबकि, वहीं दूसरे बिज़नेस को सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से नहीं मिल पाता है।
- असंगठित सेक्टर की स्थिति में सुधार: GST कपड़ा उद्योग के साथ ही अन्य असंगठित सेक्टर की स्थिति में सुधार ला सकता है। भारत में असंगठित सेक्टर बड़े स्तर पर रोज़गार प्रदान करते हैं, लेकिन इन सेक्टर से काफ़ी कम टैक्स एकत्र हो पाता है। वहीं, अगर हर छोटे-बड़े बिज़नेस अपना GST रजिस्ट्रेशन करवाते हैं, तो टर्नओवर सीमा पार होने पर उन्हें GST भरना होगा। जिससे सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी और असंगठित सेक्टर की स्थिति में सुधार होगा। इससे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को रोज़गार मिल सकेगा।
- आउटपुट टैक्स लायबिलिटी में कमी: GST से पहले व्यापारियों को VAT, सेल्स टैक्स, कस्टम ड्यूटी जैसे सभी अप्रत्यक्ष टैक्स की पेमेंट करनी पड़ती थी, जो कुल मिलाकर लगभग 32% होता था। वहीं, GST के अंतर्गत केवल 18% से लेकर 28% तक ही टैक्स भरना पड़ता है। जिससे आउटपुट टैक्स लायबिलिटी (देनदारी) में कमी आयी है। इस वजह से अब व्यापारियों को पहले की अपेक्षा ज़्यादा लाभ भी मिलता है।
- GST प्रणाली में सुधार: GST प्रणाली लगातार विकसित हो रही है और बिज़नेस से फ़ीडबैक मिलने के बाद उसमें लगातार सुधार किया जा रहा है। बिज़नेस से फ़ीडबैक मिलने के बाद GST काउंसिल नई रिटर्न प्रणाली की घोषणा भी करती है। वर्तमान नई रिटर्न प्रणाली के तहत टैक्स भरने वाले व्यापारियों को उनके वार्षिक टर्नओवर के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में विभाजित किया जाता है। पहले जहां, रिटर्न फाइल करने के लिए कई फ़ॉर्म भरने पड़ते थे, अब केवल एक या दो फ़ॉर्म ही भरने पड़ते हैं। इसके अलावा फ़ॉर्म पहले फाइल किए रिटर्न फ़ॉर्म से अपने आप ही भर जाता है।
- आसानी से शुरू कर सकते हैं दूसरे राज्यों में बिज़नेस: पहले की टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत दूसरे राज्यों में बिज़नेस शुरू करने के लिए हर राज्य का VAT राजस्ट्रेशन करवाना पड़ता है, जिसमें बहुत समय और पैसा बर्बाद हो जाता था। हर राज्य में VAT के रजिस्ट्रेशन की शर्तें भी अलग-अलग थी, इस वजह से काफ़ी परेशानी भी होती थी। लेकिन, GST एक सेंट्रल टैक्स व्यवस्था है, जो हर राज्य के लिए एक समान है। अब एक ही GST रजिस्ट्रेशन से किसी भी राज्य में बिज़नेस शुरू किया जा सकता है। इससे व्यापारियों को ज़्यादा फ़ायदा होता है।
- लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में कमी: पहले एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजने पर व्यापारियों को हर सीमा चौकी पर पैसे देने पड़ते थे, जिससे लॉजिस्टिक्स कॉस्ट बहुत ज़्यादा हो जाता था। वहीं, कुछ व्यापारी लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को कम करने के लिए चौकियों पर गश्त लगाने वाले अधिकारियों को घूस देते थे, जिससे भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी होती थी। दोनों ही स्थितियां देश और बिज़नेस के लिए अच्छी नहीं थी। GST ने इन दोनों समस्याओं का समाधान शुरुआत में ही कर दिया। अब बिज़नेस का GST रजिस्ट्रेशन होने पर किसी भी राज्य में बिना परेशानी के माल भेजा जा सकता है।
GST रजिस्ट्रेशन के साथ ही MSMEs के लिए OpenBook क्यों ज़रूरी है?
बिज़नेस छोटा हो या बड़ा, सबको सही से मैनेज़ करना पड़ता है। अगर बिज़नेस को सही से मैनेज़ नहीं किया गया, तो उसके सफलता की संभावना कम हो जाती है। जिस तरह से GST रजिस्ट्रेशन बिज़नेस के टैक्स को मैनेज़ करने में मदद करता है, वैसे ही OpenBook पूरे बिज़नेस को मोबाइल और डेस्कटॉप पर आसानी से मैनेज़ करने में मदद करता है। बिज़नेस की बैंकिंग को अनदेखा करने पर लाभ और नुक़सान का सही अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है। यहीं पर OpenBook बिज़नेस की सबसे ज़्यादा मदद करता है।
OpenBook पर रजिस्ट्रेशन करते ही मुफ़्त में ज़ीरो बैलेंस डिजिटल बिज़नेस बैंक अकाउंट मिलता है, जिससे बिज़नेस संबंधी सभी ट्रांजेक्शन्स जैसे पेमेंट कलेक्शन और ट्रांसफ़र मिनटों में किए जा सकते हैं। इसके साथ ही इसके AtriaOne डेबिट कार्ड से GST रजिस्ट्रेशन की फ़ीस, ट्रांसपोर्टेशन चार्ज़, दुकान का किराया, बिजली और फोन बिल की पेमेंट या अन्य किसी सब्सक्रिप्शन की पेमेंट आसानी से की जा सकती है। केवल यही नहीं, OpenBook पर आसानी से पेमेंट लिंक के साथ डिजिटल बिल बनाकर कस्टमर्स को उनके व्हाट्सऐप, SMS या ईमेल पर भेजा जा सकता है।
इस तरह हम कह सकते हैं कि GST का रजिस्ट्रेशन हर बिज़नेस के लिए बहुत ज़रूरी है। वहीं, OpenBook का इस्तेमाल करके बिज़नेस को आसान बनाया जा सकता है और लाभ कमाकर बिज़नेस को काफ़ी आगे भी बढ़ाया जा सकता है।